उत्तर भारत में एकाएक ठण्ड का प्रकोप एक दम से बढ़ गया है और पारा भी भारतीय क्रिकेट टीम के साउथ अफ्रीका में स्कोर की तरह से एकदम से लुढकर निचे आ गया है, परन्तु इस घटना का सारा श्रेय हम भारतीय क्रिकेट टीम को ना देकर यूरोप और अफ्रीका के बीच पड़ने वाले भू मध्य सागर व कास्पियन सागर और ब्लैक सागर को देंगे तो चलिए जानते है, की आखिर एकाएक ठण्ड बढ़ने के पीछे किस प्राकतिक घटना का हाथ है।
पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance)
भूमध्यसागरीय (Mediterranean) क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय (tropical) तूफान जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक शीतकालीन वर्षा लाता है, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के रूप में जाना जाता है। यह एक गैर-मानसूनी वर्षा पैटर्न है जो पश्चिमी हवाओं द्वारा संचालित होता है। ऐसा किसी भी मौसम में हो सकता है, जरूरी नहीं कि मानसून में ही हो। ये अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय तूफान एक वैश्विक घटना हैं। यह घटना आमतौर पर वायुमंडल की ऊपरी परत में नमी ले जाती है। भारतीय उपमहाद्वीप के मामले में, जब तूफान प्रणाली हिमालय या हिमालयी क्षेत्र का सामना करती तो उससे फसकर अपना असर उस क्षेत्र पर ठंडी हवा और बारिश के रूप मै दिखती है।
पश्चिमी विक्षोभ का असर (Effects of Western Disturbance)
पश्चिमी विक्षोभ वातावरण में निम्नलिखित प्रभाव उत्पन्न करते हैं :–
यह भारतीय उपमहाद्वीप के निचले इलाकों में मध्यम से भारी बारिश और पहाड़ी इलाकों में भारी मात्रा में बर्फबारी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस विक्षोभ के मुख्य लक्षणों में आमतौर पर बादल छाए रहने, रात के ऊंचे तापमान और असामान्य बारिश होते है।
इससे होने वाली वर्षा का कृषि पर, विशेषकर रबी फसलों (Oct – Nov में बोई जाने वाली) पर बहुत प्रभाव पड़ता है।
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में, यह कभी-कभी शीत लहर की स्थिति और घना कोहरा (Fog) लाता है।
ये जलवायु परिस्थितियाँ तब तक स्थिर रहती हैं जब तक कि कोई अन्य पश्चिमी विक्षोभ इसे परेशान न करे।
पश्चिमी विक्षोभ का बनना
भूमध्य सागर में अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के रूप में होती है। यूक्रेन और पड़ोसी देशों जैसे क्षेत्रों पर एक उच्च दबाव वाला क्षेत्र प्रदर्शित होता है, जिसके कारण ध्रुवीय क्षेत्रों से उच्च नमी वाले अपेक्षाकृत गर्म हवा वाले क्षेत्र की ओर ठंडी हवा का प्रवेश होता है। ठंडी हवा से गर्म हवा के दबाव में यह परिवर्तन वायुमंडल की ऊपरी परत में साइक्लोजेनेसिस के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है, जो समुद्र में पूर्व की ओर बढ़ने वाले अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय अवसाद (Depression) के निर्माण को बढ़ावा देता है। फिर ये धीरे-धीरे मध्य-पूर्व में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए अंततः भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करते हैं।
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